रविवार, 10 दिसंबर 2023

मौसम

 खिड़की खोले देख रही हूँ

मौसम का आना जाना

साँसों के संग संग चलता

सुधियों का ताना बाना !

वे शैशव के पल

वह बेफ़िक्री

कुछ खेलकूद

कुछ नाशुक्री ,

हँसी गूंजती किलकारियाँ

खुशियों के ऊँचे फव्वारे !

यौवन का मदमाता वसंत

वो बरखा की पागल बूँदें

जाड़ों की सिरहन से काँपतीं

यादों के डंठल पे

वो शूलें !

साल एक पर

मौसम अनेक

‘पल पल परिवर्तित प्रकृति वेश’

मेरे जीवन की खिड़की के आगे

चिर परिचित वो मेरा मेहमान !

 

लावण्या शर्मा शाह

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