सागर तो इतराते हैं।
पोखर प्यास बुझाते
हैं।
कोई याद करे
तो हम
दौड़े - दौड़े
आते हैं।
मैं आते में
मिलता हूँ
लोग जिधर भी जाते हैं।
छूने भर से पत्थर-लोग
फूलों-से हो जाते
हैं।
पैदा होना नाम
का है
लोग तभी मर
जाते हैं।
दुनिया से अपने दिल में
कितने लोग आ पाते हैं?
जिनको आना होता
है
अब तक तो आ जाते हैं!
जो ख़ुद अपने
दुश्मन हैं
वो किससे टकराते
हैं?
'मीत' तुम्हारे जैसे लोग
जल्दी ही मर
जाते हैं।
- मन मीत
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