सप्ताह-दो सप्ताह
के लिए मात्र ?
तुम मनाओ हिन्दी दिवस!
हिन्दी की सीमाएँ मेरे लिए
नहीं इतनी छोटी।
विश्व-भारोपीय भाषा परिवार की
सबसे दुलारी एक यही तो बेटी।
हिमालय, अरब सागर,
बंगाल की खाड़ी और
हिन्द महासागर की
सीमाओं तक सीमित नहीं।
अनन्त उत्साही
उड़ान भरकर पहुँची
सात समंदर पार तक।
जननी संस्कृत की
उँगली पकड़े बड़ी दृढ़ता से
जनभाषा निमित्त यही।
जब से होश संभाला है
और इस मातृभाषा से
प्यार हुआ।
साल के तीन सौ पैंसठ दिन
अष्ट सिद्धि, नौ निधियों वाली
मेरा तो संसार हुआ।
सोते-जागते,
इस हिन्दी दिवस के नाम पर,
दैनिक क्रियाकलापों में
आठों याम पर।
- पाण्डेय सरिता
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