सोमवार, 27 नवंबर 2023

औरंगजेब

 

औरंगजेब नहीं मरते हैं

वे मरकर फिर-फिर जिंदा हो जाते हैं

 

अपने जिंदा होने का जश्न मनाते हैं

अपने पैने चाकू से धीरे- धीरे हलाल करते हैं

बकरे, मुर्गे, खरगोश, तीतर, कबूतर, चिड़िया

वह जो भी पकड़ में आ जाये

जिसे आजाद होने का वहम हो

बचा हुआ थोड़ा- सा मांस डाल देते हैं

मांसाहारी कुत्तों के सामने

कुत्तों का पूँछ हिलाते हुए भौंकना

उन्हें अपना जयघोष लगता है

 

वे किसी भी धर्म में जन्म ले सकते हैं

उनकी सल्तनत कहीं भी हो सकती है

मथुरा, मदीना, येरुशलम, रोम

गहरे काले जंगल में

लाशें इकठ्ठी कर जन्नत बसाते हैं

 

रावण, अजात, नादिर, चंगेज,

हिटलर, मुसोलनी, सद्दाम

एक ही चेहरे के कितने नाम हैं

एक- सी भाषा, एक- सी प्यास

हाथों में अलग-अलग किताब

 

कोई फर्क नहीं पड़ता

उस किताब में क्या लिखा है

औरंगजेब  सबसे पहले

अपने भाई को मारकर

भाईचारा खत्म करते हैं

वे दारा शिकोह के बहाने

उन सारे मजहबी रिसालों को फाड़ फेंकते हैं

जो उनकी चौखट पर बैठने से मना कर देते हैं

 

वे अपने पिता को

राजमहल के ऊँचे कमरे में कैद करते हैं

जहाँ झरोखों से लगातार दिखता रहे

मोहब्बत का मकबरा

ढहते गुम्बदों के कद

 

वे अपने पूर्वजों की कब्र पर फातिया नहीं पढ़ते हैं

वे उनके दीने-इलाही और पंचशील को

ताजो-तख्त के लिए खतरा मानते हैं

वे मज़हबी इशारों पर बोलते हैं

दहाड़ते हैं, मुस्कुराते हैं, डराते हैं, चुप रहते हैं

 

और

अचानक पर्दे से बाहर आकर सबको चौंका देते हैं

वे चमड़े, खून, नाखून के

सारे व्यापार करते हैं

पर खुद को व्यापारी कहने पर

बुरा मान जाते हैं

 

वे तस्बीह और मालाओं के साथ

मौत का सामान बेचते  हैं

वे खुद को खुदा मानते हैं

वे खुद का खुदा गढ़ते हैं

दूसरे हर खुदा को पत्थरो से ढक देते हैं

 

वे पत्थरों से बने दुर्ग में रहते हैं

उन्हें पत्थरों पर बड़ा यकीन होता है

वे पथरीले फरमान सुनाते हैं

 

एक दिन समा जाते हैं

इतिहास के पन्नों पर धब्बा बनकर

किताबों के पन्ने हवा में फड़फड़ाते हैं

मानों उनकी मूर्खता पर

बुक्का फाड़कर हँस रहे हो

 

 

उनके अपराध की सजा

उनके वंशजों को मिलती है

थाल में सजाकर लाये जाते हैं

बेटों के कटे सर

वंशज लिखते हैं

 

कितना बद-नसीब 'जफर' दफ़्न के लिए 

दो गज जमीन भी ना मिली कू-ए- यार में

औरंगजेब हमेशा जिंदा रहते हैं

फिर फिर मरने के लिए

 

-    रास बिहारी गौड़

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें