मंगलवार, 28 नवंबर 2023

यह देश हमारा प्यारा

 इसमें क्या शक यह देश हमारा प्यारा था ,

न्यारा और दुलारा था।

 

जिस माटी में हम जन्मे और खेले ,

बचपन बीता और सारी शिक्षा पाई।

 

सबसे प्रेम और अपनापन मिला हमें भरपूर ,

जीवन लगता एक फुलवारी था।

 

न कोई डर,  न कोई भय,

सारे मौसम ज्यों हों सावन।

 

संकल्प अनेकों लिए थे,

उत्सर्ग भाव से भी भरे थे।

 

अब सब ठहरा सा लगता है,

विचित्र, विचित्र वेश।

 

भाषा, हाल, चाल, बदले सबके मिजाज,

तहजीब भूले नई सभ्यता में।

 

क्यों न हों हम उदास,

चला गया ज्यों मधुमास 

- अमिताभ शुक्ल

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