शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

एक तमाशा यहाँ करूँ।

 एक   तमाशा  यहाँ  करूँ।

आग  जलाऊँ  धुआँ  करूँ।

 

प्यार  की  इच्छा  होती  है!

किसे  करूँ  मैं  कहाँ करूँ?

 

धरती  आँगन   अंबर  छत

ऐसा   कोई    मकाँ   करूँ!

 

धरती  थोड़ी  खिसक  गई

इसे  यहाँ से   वहाँ  करूँ!

 

सबके   दिल  में  पानी  है

हर  गड्ढे  को  कुआँ  करूँ!

 

इतना   गहरा   जंगल   है

कहाँ-कहाँ पर निशां करूँ?

 

यार  जुबाँ  कट  जाती  है

जब भी सच को बयाँ करूँ!

 

मेरी   सिगरेट   परचम   है

आओ लोगों!  धुआँ  करूँ! 

 

मन मीत

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