कोई मेरे जैसा हो।
तुझ
जैसे को चाहा
हो।
तुझको
इतना प्यार करूँ
तुझसे
मेरा बच्चा हो!
पहले
से ही ज़्यादा
हूँ
कोई
कितना तन्हा हो?
मैं
बस उससे बात
करूँ
जिसने तुझको
देखा हो!
आँखों
से अंधा हो जाय
कोई
इतना रोया हो!
दुनिया खारी
ज़हर लगे
धोखा
हो तो ऐसा
हो!
बाहर
का तो रस्ता
है
अंदर
का भी रस्ता
हो!
थोड़ी
दूर से देखो
ना
दरिया
शायद क़तरा हो!
वो
क्या दुनिया फूँकेगा?
जिसने
दिल ना फूँका हो!
तस्बीहों के
दाने फेंक..
शायद
कोई अल्ला हो!
शायर
तब बन पाएगा
पहले
कोई 'मितवा' हो!
मुझ
जैसा ही लिखते
थे
मीरा
हो या कबीरा
हो!
तुम
ज़िंदों से बेहतर
है
मर
जाऊँ तो अच्छा
हो!
-मन मीत
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