प्यारी सी लग रही होती
गुड़िया- सी दिख रही होती
बगिया में फूल महके ज्यों
घर को, महका रही होती
कोशिश में क़दम उठाने की
गिरती... सम्भल रही होती
पायल वो नन्हें पैरों की
फिर भी झनक रही होती
एक बरस की होती आज
ज़िन्दा गर्भ में जो रही होती
- प्रदीप शर्मा
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