मंगलवार, 12 मार्च 2024

कैलेंडर

कुछ अंक, कुछ वार

कुछ शनिवार, कुछ इतवार

कुछ तारीखें, महीनें और साल

पुलिंदा तारीखों का

वो कैलेंडर!

जाने किसने उसे 31 की चाहर दीवारी मे बाँधा?

दे कर आज़ादी चुनने की 28, 29, 30 और 31

साल दर साल बदला जाता

हर गुज़रा साल इतिहास में दर्ज कराता!

हर शख़्स इन्तज़ार करता एक तारीख़ का

सृजन की, भ्रमण की

मिलन की, बिछोह की

और आख़िर में मिल जाता इसमें

बन के एक तारीख़

शायद दुनिया याद रखे या न रखे वो तारीख़

पर उस दीवार पे हर एक शख़्स

बन जाता है एक तारीख़!

और फिर कई तारीखों के ज़नाज़े

आ मिलते तारीखों के कब्रिस्तान मे!!

पर वो नया साल

ज़रा हट के है

ज़रा जिद्दी

ज़रा अल्हड

मौजों की रवानी

झील का ठहराव

न कर परवाह तू उन तारीखों की

जैसे वो बदलता साल दर साल

तू भी बदलता जा वक्त के साथ !

बढ़ता जा वक्त के साथ !!

-सौरभ सोनी

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