मंगलवार, 10 अक्तूबर 2023

हवा

 हवा  में आज कुछ नमी - सी  है

इसी  से  ये  रुकी  , रुकी  सी  है


न  मैं  सुनूँ  न  दिल  सुने , हममे

कई  बरस से कुछ  ठनी - सी  है


है इक ख़लिश सी ख़ानाए दिल मे

दिमाग  मे  भी  खलबली  - सी  है


हुजूर     उनके     जिंदगी     गुज़रे

इक   आरजू   दबी  ,  दबी - सी  है


मेरा    नसीब    भी     यही    होगा

जो  बन्द   सामने    गली  -  सी   है


- कपिल कुमार


ख़लिश...चुभन,टीस

ख़ानाए दिल...ह्रदय रूपी घ

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