1
रहता माँ का
लाडला, औ' राधा
की जान।
जी को आफ़त हो गई, बनकर तो भगवान।।
2
बटुए में फिर देख लूँ, राधा की तस्वीर।।
3
युद्धों के अँधियार
में, दिखता नहीं प्रकाश।
गिनते-गिनते थक गया, समय हमारी लाश।।
4
माँ गाती है आरती,
लिए हाथ में
थाल।
आँगन में हैं नाचते, राधा संग गोपाल।।
5
भाषा 'ड्राई' हो गई, और हृदय
'डेज़र्ट'।
रास बन गया 'सेक्स' अब, छेड़ बन गई 'फ्लर्ट'।।
6
मन के कारागार
में, पैदा कर वह
कोख।
जो गाढ़े अँधियार
से, ले उजियारा सोख।।
-मनमीत
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