रविवार, 22 अक्तूबर 2023

जीवन, मृत्यु और इनके मध्य

 

नहीं लौटता आदमी मरने के बाद,

क्रूर काल का शिकार बनने के बाद।

हादसे ,युद्ध ,दुर्घटनाएँ ,बीमारियाँ, विभीषिकाएँ,

बनते हैं बहाना मौत का!

मरने वाले मर जाते हैं अस्पताल में लापरवाही से,

या मार दिए जाते हैं दुश्मन की चाल से!

यह सब मनुष्य ही तो होते हैं,

फिर  असमय जीवन क्यों खोते हैं?

सवाल दर सवाल चलते हैं जीवन के साथ,

कोई उत्तर नहीं किसी के पास।

सपनो का मर जाना भी मौत हे,

और किसी अपने से छला जाना भी।

जीवन रहते सब सपने बुन सकते हो,

सारी अय्याशी और मक्कारियां कर सकते हो।

यह मनुष्य का जीवन और नियति है,

बाद का सब अदृश्य होता है।

-  अमिताभ शुक्ल 

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