बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

माहिया

 

वो बाबुल की गलियाँ

मुस्काता बचपन

खुशबू से भरीं कलियाँ

 

बहकाये मतवारी

दिन में रात करें

ये अँखियाँ  कजरारी

 

इक नेह बँधा धागा

अंतस को खींचे

मुंडेरों पर कागा

 

ये रुत पुरवाई की

सावन के झूले

औ याद विदाई की

- सोनम यादव 

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