सोमवार, 30 अक्तूबर 2023

कोई नहीं है।

  

रास्ता   कोई   नहीं  है।

अब सिरा कोई नहीं है।

 

एक मैं हूँ  एक तुम हो

दूसरा   कोई   नहीं  है।

 

जा रहों को  देखता हूँ

आ  रहा  कोई नहीं है।

 

ग़र्द ही अब क़ाफ़िला है

क़ाफ़िला कोई नहीं है।

 

आप ख़ुद ही फ़ासला हैं

फ़ासला  कोई  नहीं है।

 

सोचने के नाम पर अब

सोचता  कोई  नहीं  है।

 

बोलने के नाम पर अब

बोलता  कोई  नहीं  है।

 

आप तो बस आप ही हैं

आप-सा   कोई  नहीं है।

 

 

- मन मीत

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