मुझे तलाश है उसकी
जो मौन और शब्दों के बीच रहा
वो जो कहीं मुस्कुरा रहा
हाँ और नहीं के बीच
वही तो है
जो टहलता है रहता
अवसाद और उन्माद के दरम्यान
झूलता हो जैसे
जीवन और मृत्यु के मध्य
वह न ही अंदर कहीं है
ना ही बाहर भटकता
चमकता है दूर जैसे
धरती और आकाश के मध्य
मुझे तलाश है
अमरत्व लिए हुए
उस एक पल की......
- हरदीप सबरवाल
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