कमरा खाली करते वक़्त
जाने वाला
समेट लेता है सभी जरूरी सामान
और छोड़ देता है
फालतू सामान
यहाँ वहाँ बिखरा-सा
कमरे की मानिंद ही
जब दिल से निकल कर जाता है कोई
तो वो ले जाता है साथ अपने
सारी की सारी
जीवन को जीवन देती
जरूरी खुशियाँ
और छोड़ जाता है तमाम अवसाद
खाली कमरा भरा रहता है कबाड़ से
और खाली दिल दुखों के पहाड़ से
फिर एक दिन
खाली कमरे को अपनाने
कोई आता है
बाहर कर सारे कबाड़
उसे करीने से सजा
नए रंग और नई रोशनी से
भर देता
दिल से भी
कोई नया रिश्ता
जब जुड़ता है
बुहार कर बाहर कर देता है
पुरानी धूड़ सरीखे दुखों को
और फिर से सजा देता है
नई उंमगे, नई
तरंगे
नये प्यार सी.....
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