आग के हैं प्रश्न,
उत्तर रुई के
खेल भाषा का
रचाते रहे वर्षों
पर ही नहीं पाया
कभी भी स्पष्ट आशय
तिर रही है
भाषणों की नाव
सरकार विघ्न बाधाहीन
धूल बना जलाशय
म्यान में
तलवार के
पैकेट सुई के
सत्य अब अपराध
सेवा वंचना की
सहचरी है
स्वार्थ के अनुबंध सारे
स्वयं सांसत में
प्रतिष्ठित तस्करी है
मित्र के संकल्प
करतब मुद्दई के ।।
- अनूप श्रीवास्तव
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