चाह ऐसे दिये की हो
जो भीतर-बाहर जगमग करे।
एक दिया अमृतसम हो
जो मृत आत्मा में श्वास भरे।
एक दिया पावन हो इतना
जितना संतों का जीवन
एक दिया खिला दे इतनान
एक दिया उनकी खातिर होजिनके घर मैं दिया ही नहीं
देश की रक्षा के खातिर एक दिया
सीमा पर बैठे वीर जवानों का।
एक दिया विश्वास भरे उनमें
मंझदार में डूबी नैया जिनकी
एक दिया मानवता की खातिर
इंसानियत जिनसे जिंदा रही।
एक दिया उस राह में भी हो
जो राह कल पीछे छूट गई
एक दिया जो अंधकार का
जड़ के साथ विनाश करे।
सब दियों में एक दिया ऐसा भी हो
जो भीतर -बाहर प्रकाश करे...
- - वीणा विज 'उदित'
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