मन बना खोजी
खोजता है तुम्हें
चाँद में, बादलों
में
बारिश की बूँदों में
इंद्रधनुष के रंगों में
नदियों में, झरने
में
आकाश में उड़ती पतंग में
उड़ते पाखियों के पंखों में
बाग़ों में, फूलों
में
कलरव में, प्रार्थना
के स्वरों में
मंदिर की मूरत में;
फिर धड़कन ने धीरे से कहा-
धैर्य रखो, मुझे
भी सुन लो
फिर साँस में साँस आई
-
सुनीता यादव
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