तम है जिन मन
उनके दीपक बन जाओ जी,
अंधेरा रहे न धरा पर
तुम भी दीपक बन
उस दिपावली के
दीपक बन जाओ जी!
खिल- खिलौना, बतासे और मिष्ठान
जिस घर कोई नहीं गया
उस घर भी दे आओ जी!
पवित्र पर्व है
छोटा-बड़ा कोई रह न जाए
सभी को बधाई दे आओ जी!
दीपों का पर्व है दीप जलाओ जी!
गुरु को प्रणाम कर
मम्मी - पापा को शीश
नवाकर आशीर्वाद ले लो जी!
विधवा-आश्रम, वृद्धा-आश्रम, अनाथ- आश्रम जाकर
बुझे हुए तिरस्कृत-उपेक्षित
दीपक जला आओ जी!
स्नेह से गले लगाओ जी!
मानव धर्म निभाओ जी
दीपों का पर्व है दीप जलाओ जी !
- मनोज कुमार कैन
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