मंगलवार, 16 जनवरी 2024

करवाचौथ

मम्मी ने देखा होगा पापा को

चाची ने देखा होगा चाचा को

मामी ने देखा होगा मामा को

फूफी ने देखा होगा फूफा जी को

ताई ने देखा होगा ताऊजी को

 

उन्हें देखते हुए देखा होगा प्यार ने..

 

कितनों ने कितनियों को देखा होगा

कितनियों ने कितनों को देखा होगा

कितनी रौशनी थी कल रात छत पर..

 

घर-घर में चाँद थे

छत-छत पर चाँद थे

गली-गली में चाँद थे

मेरा यह देश अटा पड़ा था चाँदों से..

 

इतना प्यार था कल रात

और प्यार भी कितना ठोस था

कि परमाणु बम भी गिर जाता अगर मेरे शहर में

तो प्यार का बाल भी बांका नहीं होता

उलटे परमाणु बम के ही परखच्चे उड़ते कल रात

 

मेरा तो कुछ नहीं था करवाचौथ में

फिर भी बार-बार जाता रहा छत पर..

 

अब निकला चाँद

बस निकलने ही वाला है चाँद

शिमला में दिख गया चाँद

नोएडा में दिख गया चाँद

कलकत्ता में दिख गया चाँद

हमारे शहर में भी दिखने वाला है चाँद..

 

चाँद जब निकला

छोटा-सा चाँद निकला

एक बांकी सुनहरी लक़ीर जैसा चाँद निकला

निकला संतरे की फांक जैसा चाँद

कितना मीठा रस-भरा चाँद

चाशनी और चाँदनी में कोई फ़र्क़ नहीं था कल रात..

 

मैं रात को एक बजे गया छत पर

जब चाँद बिलकुल अकेला था

मैंने एक कपड़े से उन सभी देशों के निशान मिटाए

जो चाँद को जीतने का दावा करते हैं..

 

मैंने चूम लिया चाँद का माथा..

 

चाँद बोला :

 

कब से यही तो कह रहा हूँ

कि मुझे इसी तरह जीता जा सकता है

कि आप लोग मुझे एक-दूसरे में देखें

और तुम जैसा कोई बावला

चुपचाप मेरा माथा चूम ले!

 

-    मन मीत

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