मम्मी ने देखा होगा पापा को
चाची ने देखा होगा चाचा को
मामी ने देखा होगा मामा को
फूफी ने देखा होगा फूफा जी को
ताई ने देखा होगा ताऊजी को
उन्हें देखते हुए देखा होगा प्यार ने..
कितनों ने कितनियों को देखा होगा
कितनियों ने कितनों को देखा होगा
कितनी रौशनी थी कल रात छत पर..
घर-घर में चाँद थे
छत-छत पर चाँद थे
गली-गली में चाँद थे
मेरा यह देश अटा पड़ा था चाँदों से..
इतना प्यार था कल रात
और प्यार भी कितना ठोस था
कि परमाणु बम भी गिर जाता अगर मेरे शहर
में
तो प्यार का बाल भी बांका नहीं होता
उलटे परमाणु बम के ही परखच्चे उड़ते कल
रात
मेरा तो कुछ नहीं था करवाचौथ में
फिर भी बार-बार जाता रहा छत पर..
अब निकला चाँद
बस निकलने ही वाला है चाँद
शिमला में दिख गया चाँद
नोएडा में दिख गया चाँद
कलकत्ता में दिख गया चाँद
हमारे शहर में भी दिखने वाला है चाँद..
चाँद जब निकला
छोटा-सा चाँद निकला
एक बांकी सुनहरी लक़ीर जैसा चाँद निकला
निकला संतरे की फांक जैसा चाँद
कितना मीठा रस-भरा चाँद
चाशनी और चाँदनी में कोई फ़र्क़ नहीं था
कल रात..
मैं रात को एक बजे गया छत पर
जब चाँद बिलकुल अकेला था
मैंने एक कपड़े से उन सभी देशों के
निशान मिटाए
जो चाँद को जीतने का दावा करते हैं..
मैंने चूम लिया चाँद का माथा..
चाँद बोला :
कब से यही तो कह रहा हूँ
कि मुझे इसी तरह जीता जा सकता है
कि आप लोग मुझे एक-दूसरे में देखें
और तुम जैसा कोई बावला
चुपचाप मेरा माथा चूम ले!
-
मन मीत
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