बुधवार, 17 जनवरी 2024

जो न निकले घर से

 जो न निकले घर से

बहुत पिछड़ जायेंगे

कैसे जंग -ए जिन्दगी मशक्कत से

भिड़ पाएँगे

क्या संभाल कर रखें, इस बेवफा जिन्दगी को

रोज रेत जैसे  दिन

झड़ते जाते हैं

दस्तूर है,  एक दिन जाने का सभी

कौन सा इस जन्नत पर हमेशा

रह पाएँगे

दिल अगर बहल पाता चार दीवारों में

तो क्यों जंग होती रही

मैदान ए जहाँ मैं

इतिहास भरे पड़े

जंगी युद्ध भूमि से

बिना मौत से मिले

कौन से मर्द जी पाए हैं 

-    यशोवर्धन

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