शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

पाऊँ तुझको ऐसा वर दे

 पाऊँ तुझको ऐसा वर दे

कान्हा मुझको मीरा कर दे

मैं सीधा- सादा ना चाहूँ

राधा सा आधा ना चाहूँ

प्रेम में नाचूँ, झूमूँ मैं

मस्त मगन हो घूमूँ मैं

चाहे काँटों भरी डगर दे

कान्हा मुझको मीरा कर दे

 

ना मथुरा ना वृन्दावन में

तू रहता है मेरे मन में

सत चित आनंद पाऊँ  मैं

मंदिर-मंदिर गाऊँ मैं

शक्ति-भक्ति-मुक्ति प्रखर दे

कान्हा मुझको मीरा कर दे

 

प्रेम जहाँ पाने को भागे

दुःख ही दुःख है

प्रेम जहाँ माया को त्यागे

सुख ही सुख है

प्रेम में आशा, 

ऋषि दुर्वासा -सी निर्मम है

निश्छल मन का

प्रेम सदा ही सर्वोत्तम है

अपनी चिंता मुझमे धर दे

कान्हा मुझको मीरा कर दे

 

 - अर्चना पांडा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें