शनिवार, 27 जनवरी 2024

आउटर पर

 महानगर में घुसने से पहले

ट्रेन रुकती है

आउटर पर

बदरंग बीहड़ से

घबराकर

 

ट्रेन के भीतर बैठे यात्री

हड़बड़ा कर सामान समेटते,

झांकते, उतावली में

लंबी यात्रा से ऊबे

नहीं होते सशंकित ज़रा भी

पड़ाव पर पहुँचने से

 

महानगर खो चुका है अपना आतंक

उनके लिए

 

उनके लिए

यात्रा पर निकलना नहीं

यात्रा से निकलना ज्यादा लुभावना है शायद

 

महानगर 

यायावरी को क़त्ल कर रौंदते है -

दिन-रात

ट्रेनें इसी से आतंकित हो

ठिठक जाती हैं

आउटर पर

ज़रा कुछ देर

 - जया 

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