सभ्यता है स्वहित,
आधुनिकता है समृद्धता,
तरक्की है प्रतिष्ठा,
संबंध हैं लोकप्रियता।
इन सबके लिए जरूरी है,
आज के समय में क्रूरता,
तब ही सध सकते हैं,
यह सारे लक्ष्य एक साथ।
इस लिए जारी है संसार में,
गरीबी और अभाव,
बेबस और लाचार,
जो नहीं करना चाहते यह सब।
इन लाचारोँ को जरूरी लगती हैं,
प्रेम, उदारता, मानवता, निश्चछलता
और बुद्ध, महावीर
की शिक्षाएँ,
जिनका उपयोग नहीं कपट के संसार में ।
- अमिताभ
शुक्ल
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