रविवार, 11 फ़रवरी 2024

नए साल की कविता

 नए वर्ष में

केवल दीवार से ही ना उतारें

पुराना कैलेंडर

आत्मा से भी उतारें बोझ

पुरातन विचारों का

मृत हो चुकी आस्थाओं का

और घिनौनी ताकतों को धिक्कारें।

 

जाति ,भाषा ,धर्म

से फलीभूत हुई नफरतों

और

वे सारी बातें भूलें

जो इंसान के पक्ष में ना हों।

 

आस्तिकों

ईश्वर से प्रार्थना करो

आदमी के पक्ष में उठे हाथ

और मजबूत हों

क्योंकि

यही सही समय है प्रार्थना का।

 

        - हर गोविंद पुरी

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