रविवार, 18 फ़रवरी 2024

फैशन

 

जैसे चली आती बाहर

किसी कॉलेज से लड़कियाँ

एक के बाद एक

नए फैशन के मिलते जुलते परिधानों में,

 

या एक जैसी बूट कट जीन्स पहने

फैशनेबल शर्ट्स में एक जैसे सजते लड़के,

 

कविताएँ  भी आती है फैशनेबल बन,

एक के बाद एक धाराप्रवाह

नारी दिवस आते ही स्त्रीमय हो जाती,

प्रेम दिवसों में ओढ़ लेती चुनर प्यार की,

राष्ट्रीय दिवस में तिरंगा पहने हुए,

 

अलग अलग मौके के लिए अलग अलग के

व्यापारिक नारे को सम्पूर्ण करते हुए,

कविताएँ  इन दिनों फ़ैशन में

किसी से पीछे नहीं…

 

-    हरदीप सबरवाल

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