1
सिर्फ चेहरा भर ही नहीं रखती अपने अंदर,
तस्वीर समेटे रखती है, अपने
अंदर
वो अच्छा या बुरा पल और
सदैव आकर्षक,
दिखते रहने की चाह,
2
राजाओं की तस्वीर
राजाओं की तरह ही सबसे बड़ी होना चाहती
है
वो तराशी जाती हैं
सिक्कों पर और स्मारकों- सी पुरातत्व
वस्तुओं से लेकर,
आधुनिक होर्डिंग्स और बैनरों के साथ ही,
जन कल्याणकारी योजनाओं के पोस्टर ब्वॉय
छवि तक में,
युगों तक याद रखे जाने की चाह में,
3
राजाओं की तस्वीर में एक और इच्छा भी
रहती है,
तमाम पिछले राजवंशों की तस्वीर मिटा
देने की,
वर्तमान, भूत की तस्वीर मिटा देने को तत्पर जहाँ,
भविष्य योजनाबद्ध है, वर्तमान
की तस्वीर के खिलाफ,
तस्वीरों का ये युद्ध, अलग
बात है!
हमें इतिहास में नहीं पढ़ाया जाता।
4
व्यापारिक तस्वीरें, किसी
वेश्या सरीखी,
उनका इस्तेमाल कहाँ होगा
और ग्राहक कौन होगा,
जैसे प्रश्नों में ना उलझ
उन्हें सिर्फ बिकने तक से मतलब,
5
कुछ तस्वीरें
ना पत्थरों पर तराशी गई,
ना कागज पर उतरी और ना ही आधुनिक
डिजिटल रूप में आई,
वे छुपी रही किसी एक अकेले मन में,
किसी घोर निराशा, पीड़ा
और दर्द का पल लिए,
सालती रहती उम्र भर,
एकाकी टीस और एकाकी पल लिए
सिर्फ एक दिल के लिए….
6
तस्वीरें हमें जितना दिखाती है,
उस से कहीं अधिक
उनका काम छिपाना होता है,
लगभग उतनी ही चालबाज
जितना इंसान का मन,
जिसमें होता कुछ और है
और दिखता कुछ और।
- हरदीप सबरवाल
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