रविवार, 25 फ़रवरी 2024

मनुष्य भी नहीं मानेंगे

 वे नए साल में मुझे फिर कवि नहीं मानेंगे

पिछले साल भी उन्होंने मुझे कहानीकार कहाँ  माना था

और उसे पिछले साल तो

वे मुझको आलोचक भी नहीं मानते थे

उससे पिछले साल उपन्यासकार मानने से मना कर दिया था

मैं समझता था

वे  मुझे पत्रकार मानते होंगे

लेकिन पता चला

कि वे  मुझे पत्रकार भी नहीं मानते थे

अगले साल के बाद

क्या वे  मुझे  संपादक  मानेंगे

मुश्किल है कहना

क्योंकि मुझे लगता है

वे मुझे अब संपादक भी नहीं मानेंगे

अगर मैं जीवित रहा

वे अनुवादक भी नहीं मानेंगे

तो वे मुझे मनुष्य ही मान ले

इसमें ही मेरी भलाई है

मुझे शक है

मेरे मरने के बाद

वे मुझे मनुष्य  भी  नहीं  मानेंगे

- विमल  कुमार 

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