वे नए साल में मुझे फिर कवि नहीं मानेंगे
पिछले साल भी उन्होंने मुझे कहानीकार
कहाँ माना था
और उसे पिछले साल तो
वे मुझको आलोचक भी नहीं मानते थे
उससे पिछले साल उपन्यासकार मानने से
मना कर दिया था
मैं समझता था
वे
मुझे पत्रकार मानते होंगे
लेकिन पता चला
कि वे
मुझे पत्रकार भी नहीं मानते थे
अगले साल के बाद
क्या वे मुझे
संपादक मानेंगे
मुश्किल है कहना
क्योंकि मुझे लगता है
वे मुझे अब संपादक भी नहीं मानेंगे
अगर मैं जीवित रहा
वे अनुवादक भी नहीं मानेंगे
तो वे मुझे मनुष्य ही मान ले
इसमें ही मेरी भलाई है
मुझे शक है
मेरे मरने के बाद
वे
मुझे मनुष्य भी नहीं मानेंगे
- विमल कुमार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें