सुख के दिन भी आएँगे।
मिल
कर गाने गाएँगे।
जिस दिन हम मिल जाएँगे
पागल
ही हो जाएँगे।
अपनी प्यास
निचोड़ेंगे
बादल को
लहराएँगे।
जितनी भी
दीवारें हैं
सब दीवारें ढाएँगे।
अब तो
मिलने आ जाओ!
वरना
हम मर जाएँगे।
अब
जो हम से रूठे
हैं
कल
वो मिलने आएँगे।
हम
काग़ज़ के ऐरोप्लेन
बादल में
उड़ जाएँगे।
अपने घर की छत पर हम
चिड़ियों को
चुगवाएँगे।
ख़ुद को पार लगाकर हम
सब
को पार लगाएँगे।
बारिश
के भीगे दिन
में
गीले पेड़
हिलाएँगे।
सर्दी
की सुबहा में हम
मिलकर चाय
बनाएँगे।
प्यार
असल में क्या शै है
दुनिया को
दिखलाएँगे।
'मीत' तेरे
सादेपन से
सब
शायर जल जाएँगे।
-मन मीत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें