वर्चस्व के लिए कायम किए गए राज्य,
किए गए युद्धों के उद्घोष,
गरजे जोश से लबरेज नारे,
वर्चस्व के लिए स्थापित हुए धर्म,
और हुए धर्मयुद्धों के अभिषेक,
और गूँज उठे धर्म के बोल,
ये और बात रही लेकिन,
इन युद्धों में जो सबसे आगे रहे,
या जिनकी आवाज रही नारों में पीछे,
उनके लिए युद्ध वर्चस्व के नहीं
आजीविका के रहे…..
- हरदीप सबरवाल
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