भरी जेब
तृप्त करती है जबानों को,
महंगे परफ्यूम की खुशबू -सी महकती,
चुनिंदा वस्त्रों- सी खूबसूरत,
रात को भी दिन में बदलती,
और देती
ढेर- सा हौंसला
खाली जेब
फांके में कटते दिन -सी,
मौसम की वीभत्सता का ज्ञान देती
सफेद को स्याह में बदलती
और गिरा देती है
ऊँचे से ऊँचे मनोबल...
- हरदीप सबरवाल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें