शुक्रवार, 15 मार्च 2024

जेब

 भरी जेब

तृप्त करती है जबानों को,

महंगे परफ्यूम की खुशबू -सी महकती,

चुनिंदा वस्त्रों- सी खूबसूरत,

रात को भी दिन में बदलती,

और देती

ढेर- सा हौंसला

 

खाली जेब

फांके में कटते दिन -सी,

मौसम की वीभत्सता का ज्ञान देती

सफेद को स्याह में बदलती

और गिरा देती है

ऊँचे  से ऊँचे मनोबल...

हरदीप सबरवाल

 

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें