हिंदी मेरी जान और
में हिंदी पर कुर्बान,
सब को भाती हिंदी
शब्दावली
जितना चाहो जैसे बोलो
सबसे सरल,
कभी
सबसे दहल
जब बन जाए कविता
वीर रस में
'रश्मिरथी' बन
जाती है
भक्ति में तुलसी दास से अवधी
प्रेम कराती है
जन मन दिल में सबके सारे
हिंदी अलख जगाती है
विश्व भर में
मातृभाषा हिंदी अब
हर दिल लब पर मधुर
गीत गुनगनाती है ।
मेरी जान हिंदी
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यशोवर्धन
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