रविवार, 31 मार्च 2024

मायाजाल

फोन खोलते ही

सामने पहली पोस्ट

किसी की खुशी की खबर

आभासी दुनिया का मित्र है

पर अकसर बात होती रहती

उसकी सफलता पर हर्षाते हुए

खुशी भरा कॉमेंट करता

 

स्क्रॉल करते

अपने ही शहर के एक दोस्त

की पोस्ट नज़र आती

उसका कोई दोस्त दुर्घटना में

चल बसा

उस अनजान

युवा मृत्यु पर द्रवित होता

कॉमेंट में मित्र के साथ

संवेदना प्रकट करता,

 

पल भर में

हर्ष से मातम तक का सफर तय करने हुए

 

तीसरी पोस्ट

जिस पर नजर ठहरती

लिखा है

आभासी दुनिया मायाजाल है

उकता कर, रख देता हूँ फोन

 

शाम को बाजार जाते हुए

दूसरी गली में एक घर के सामने भीड़ देख

सहसा रुकता हूँ

किसी बुजुर्ग की मौत हुई

वैसे उन्हें जानता नहीं था

पर सैर करते वक्त एक दो बार

सरसरी देखा था

 

बुजुर्ग का चेहरा याद करते हुए

बाजार के लिए शॉर्टकट लेता

तेरह नंबर गली में मुड़ता हूँ

 

अंकल, आगे रास्ता बंद है

साइकिल पर आते बच्चे ने ऊँची आवाज में कहा

आगे शादी का टैंट लगा है

 

स्कूटर का हैंडल घुमाते हुए

मैं फिर से

मायाजाल के अर्थ तलाशने लगता...

 

-  हरदीप सबरवाल

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