शनिवार, 30 मार्च 2024

धाम अयोध्या

धाम अयोध्या,

पहुँचे राम।

 

रामभक्त हैं उमड़े-उमड़े,

राग राममय, बादल घुमड़े,

दीवाली-सी सकल दिशाएँ,

रावण के हैं फूले तुमड़े,

सजा सबेरा,

दुलहन शाम।  

 

आनंदित है चप्पा-चप्पा,

मार रही हैं खुशियाँ ठप्पा,

सोने के दरवाज़े चमके,

हँसता कल का एक हड़प्पा,

खुश है आस्था,

खुश है आम

 

अमृत है सरयू का पानी,

जिसका कोई आज न सानी,

रामकथा का हुआ जागरण,

अमर हो गई एक कहानी,

कुहरा हटा,

हुआ है घाम।

 

-शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें