धाम अयोध्या,
पहुँचे
राम।
रामभक्त
हैं उमड़े-उमड़े,
राग
राममय, बादल घुमड़े,
दीवाली-सी
सकल दिशाएँ,
रावण
के हैं फूले तुमड़े,
सजा
सबेरा,
दुलहन
शाम।
आनंदित
है चप्पा-चप्पा,
मार
रही हैं खुशियाँ ठप्पा,
सोने
के दरवाज़े चमके,
हँसता
कल का एक हड़प्पा,
खुश
है आस्था,
खुश
है आम।
अमृत
है सरयू का पानी,
जिसका
कोई आज न सानी,
रामकथा
का हुआ जागरण,
अमर
हो गई एक कहानी,
कुहरा
हटा,
हुआ
है घाम।
-शिवानन्द
सिंह 'सहयोगी'
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