सोमवार, 1 अप्रैल 2024

नई सुबह तुम!

नई सुबह तुम!

परिवर्तन का

‘लिटमस-पेपर’ हो।

 

तुम फसलों की कुसुमित बाली,

तुम सूरज की ललकित लाली,

तुम उपवन की नृत्य-नाटिका,

नई हवेली, पुलकित डाली,

तुम भँवरों की

गीत-कुंजिका,

तुम ‘लवलेटर’ हो।

 

तुम पूजा में थाल, परोसा,

तुम साँभर हो, इडली-दोसा,

तुम जलेबियाँ, तली कचौड़ी,

गरम-गरम हो बना समोसा,

तुम ही ढाबा, तुम ही होटल,

तुम ही ‘वेटर’ हो।

 

तुम यति-गति-लय, तुम अभिधा हो'

सुख-दुख और नई सुविधा हो,

सौम्य शांत तुम, किरण-कुमुदिनी,

तुम ऋतुओं की नय विविधा हो,

तुम शब्दों का लाड़ प्यार हो'

‘केयर टेकर’ हो।

 

--शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'

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