अच्छा होने पर सब अच्छा होता है,
और खराब होने पर सब खराब होने लगता है,
जिस तरह निचली जगह में होने पर,
लोग घिर जाते हैं बाढ़ से ।।
पक्के मकान में होने पर बारिश नहीं टपकती,
रुपयों के होने पर हो जाता है अच्छा इलाज।।
यूक्रेन में होने पर झेलना पड़ रही है युद्ध की विभीषिका,
और दिल्ली में यमुना की बाढ़ की त्रासदी।।
इस तरह न दिखाई देने वाली वजहें,
बन जाती हैं क्रंदन जीवन में।।
इस लिए योजनाएँ बनाई जाती हैं,
सुरक्षा , पद , ताकत और रुपयों की।।
यह वासनाएँ, इच्छाएँ और प्रयत्न लाते हैं जीवन में रस,
नौ रस होते हैं साहित्य में, जीवन में बस कुछ।।
खेलता, झेलता, खुश होता इंसान अपनी सफलताओं पर,
दिखाई देता है संतुष्ट और प्रसन्न इंसान।।
इसके लिए ही करता है सारे छल और प्रयत्न,
वह सब कुछ जो प्रवचनों में नहीं बताते संत।।
जिंदगी ऊपर है धर्म ग्रंथों और किताबों के ज्ञान से ,
इतना तो ज्ञानी अब हो चुका है मनुष्य।।
इस लिए ही सफल हो रहे हैं गणतंत्र,
जो चलते हैं विशाल झुंड में गणों के साथ।।
प्रकृति के साथ तो रहता है आदिवासी मनुष्य,
या जिनके घर होते हैं गांव या नगर की निचली बस्तियों में।।
अच्छा होने पर सब अच्छा होता है..
और खराब होने पर सब खराब हो जाता है।।
- अमिताभ शुक्ल
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