बीता अक्टूबर, आया नवंबर,
दिसंबर, जनवरी भी बीत रहे,
सर्दी, गर्मी, वर्षा और फिर सर्दी,
पूरा हुआ एक वर्ष का काल।। गुजरा ऐसे ज्यों कई जन्म हों,
पल -पल बदले मौसम और विचार
हवाई जहाज, रेलगाड़ी रिश्ते - नाते सब बंद रहे,
सारे संबंध ज्यों बंद हुए,
पर फिर से, शुरुआत
हुई है,
बिछड़े दोस्त मिले हैं ।।
हँसते, गाते, जीवन
बीते,
इस से ज्यादा नहीं माँगा है,
फिर से सबका साथ मिले,
प्यार और दुलार मिले,
इस से ज्यादा कब चाहा है,
मनमौजी में वक्त गुजारा है ।।
जीवन मधुमास बने,
सारे संबंध फिर से अपने हो जाएँ,
आस और उम्मीद है,
कि जीवन मधुशाला हो जाए ।।
फिर से सैर - सपाटे हों,
जीवन बस ऐसे ही,
हँसते, मुस्कुराते
गुजर जाए।।
- अमिताभ शुक्ल
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