बुधवार, 29 नवंबर 2023

सृष्टि और मनुष्य

  

विचित्र खेलों और शोक का उत्सव है सृष्टि,

कभी शोला तो कभी शबनम है।

 

बनते ,बिगड़ते हालात और संबंध,

अचानक आई खुशी और गम है।

 

खेल जिसमें कुछ तय नहीं होता,

बाढ़, तूफान, भीषण बारिश और युद्ध है।

 

क्या शोक है और क्या खुशी?

यह भी पाने, खोने का खेल है।

 

दृश्य बदल जाते हैं क्षण भर में,

युद्ध शुरू हो जाते हैं जिद में।

 

जिंदगियाँ आबाद और बर्बाद होती हैं,

सब सृष्टि के अंतर्गत होता है।

 

सृष्टि शांत भी होती है और रौद्र भी,

मनुष्यों के स्वभाव  के समान।

अमिताभ शुक्ल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें