जीवन अभिनय है,
अभिनय ऐसा हो कि यथार्थ लगे,
यह एक महापुरुष की सीख है,
हिंदुस्तान ने इसे अपनाया है,
बड़ी पुरानी रीत है। अभिनय जरूरी है,
न केवल फिल्मीस्तान में,
बल्कि रोजमर्रा की जरूरतों में,
हिंदुस्तान में घर, परिवार,
दोस्ती, रिश्ते नाते,
समाज,
शिक्षा, देश, राजनीति,
सब बखूबी अभिनय से चल रहे हैं,
देश तरक्की पर है,
और विकास के नए मुहावरे गड़ रहे हैं व्यापार हो या धर्म,
पत्रकारिता हो, साहित्य,
या समाज सेवा,
टी आर पी का बड़ा महत्व है,
जनता भी इसे पसंद करती है,
चटखारे लेकर समाचार पढ़ा करती है इस
तरह अभिनय कला की बुनियाद,
बहुत मजबूत हो रही है
नई पीढ़ी को ऐसा ज्ञान मिला है,
शुरू से ही अभिनय कला से उनका पाला पड़ा है
इसलिए उन्होंने नए कीर्तिमान गड़े हैं,
और घर ,मोहल्ले
और प्रेमी -प्रेमिकाओं के बीच में ही,
अभिनय कला के स्कूल खुले हैं शायद इसलिए हॉलीवुड से,
बॉलीवुड का नाम बड़ा है,
और वहाँ भी भारतीय अभिनय कला के झंडे गड़े हैं
अमेरिकी कलाकार भी भारत आते हैं,
और भारत के कलाकार अमेरिका जाते हैं इस तरह भारत की अभिनय कला का,
परचम विश्व में फहराया है,
कौन कहता है कि भारत विश्व गुरु नहीं है,
भारत अभिनय कला का विश्व गुरु था,
है, और
रहेगा,
और हमसे यह पद,
न कोई छीन सका है,
और न छीन सकेगा।
-अमिताभ शुक्ल
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