प्रेम दुनिया की सबसे अद्भुत घटना है
और प्रेमपत्र उसके जीवंत साक्ष्य
मैं चाहता हूँ कि कभी
प्रेमपत्रों का इतिहास लिखूँ
यह जानते हुए भी कि उन्हें
सीने से लगाकर रोया
या हँसा जा सकता है
उनपर कविताएँ लिखी जा सकती हैं
महाकाव्य भी
उनके लिए लेकिन
इतिहास में कोई जगह नहीं होगी
इतिहास बनते हैं युद्ध से
विनाश से
हत्या से
रक्तपात से
सम्राटों से, लुटेरों
से, दुराचारियों से
और कभी-कभी धर्म से भी
इतिहास में बस प्रेमपत्र दर्ज नहीं
होते।
-ध्रुव गुप्त
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