वर्ष भर की थकान,
उदास बिताए वक्त,
कई सदमों, कई
घावों,
कई के बिछुड़ने,
जिंदगी कम होने,
कई हताशाओं,
निराशाओं,
कितनी पराजयों,
कितनी विजयों के भी,
पराजय में बदलने,
शीत की बारिश और,
कुहासे में दुबके
होने,
और जीवन से बिलकुल,
ऊब चुकने के बाद भी,
नए साल का उल्लास आएगा,
कोहराम और हलचल के साथ,
कुछ खिली, अधखिली,
आशाओं के साथ कि शायद,
बदल जाए अब कुछ,
और आ जाएँ नए दिन ,
लिखी जाएगी कविता,
स्वागत में उस अनदेखे
समय के स्वागत में
-अमिताभ शुक्ल
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