यायावरी एक अभिशाप या वरदान है,
पूर्व जन्म का लिखा हुआ काम है।
बताइए भला कौन भटक सकता है उम्र भर ?
बिना एक छाँव के ,पड़ाव
के।
खानाबदोश भी बसने लगे हों जब एक गाँव
में ,
बसाने लगे हों रोजगार एक ठाँव पर
तब भी भटकते रहे कोई ,
यह कैसा भाग्य है?
कई जन्मों के नक्छत्रो का काम है।
ऋतुएँ बदलें या वर्ष ,
शीत , ग्रीष्म हो या वर्षा ।
इस तरह भटकना भी एक काम है,
जिसमें
मिलता अनुभवों का खजाना है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें