आभा
आज गजब की लेकर,
संक्रान्ति का सूरज आया,
गगन
लोक से हर ग्रह के हित,
शान्ति दूत बन सूरज आया।
पुत्र
शनि तो अड़ा हुआ था,
उसे मनाने सूरज आया,
आपस
का मतभेद मिटा लो,
यही जताने सूरज आया।
माथ
नवाकर मकर रेख पर,
उर्जा लेकर सूरज आया,
हुई
बुआई, कोंपल फूटें,
नवजीवन ले सूरज आया।
छोटी-
छोटी होंगी रातें,
दिन लंबे ले सूरज आया,
शीत
हवाओं पर उष्मा का,
पहरा लेकर सूरज आया।
बहुत
सो चुके कंबल ताने,
हमें जगाने सूरज आया,
अब
है कर्मठता की बारी,
नव चेतन ले सूरज आया।
- सुधा
राठौर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें