एक तितली फूल पर बैठी
पहने
रंग बिरंगी परिधान
जकड़
के उसको कोमल हाथों से
करती
जी भर भर कर रसपान
तेज़
हवाएँ चलीं,शाखाएँ उड़ी
तूफ़ान
आया,जहाज़ डूबे
पेढ
उखड़े,नौकाएँ डूबी
पर
तितली फूल को प्रेम पाश में जकड़े
रही
फूल संग झूमती झूलती
उसकी
सुंदर काया कस कर पकड़े
ऐसा
बंधन ऐसा साथ
तूफ़ानी
हवा भी छुड़ा न पाई
उनका हाथ
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इंदु मैत्रा
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