हर समय सोचते रहना किसी के विषय में ,
प्रेम है तो वह तुम ही से है
ढूँढना हर जगह प्रेम है,
तो वह तुम ही से है।
हर बात बताने की इच्छा,
हर समय बात करने की इच्छा,
किसी से होना प्रेम है,
तो वह भी तुम ही से है।
प्रतीक्षा उत्तर की करना,
चिंता और ध्यान रखना,
राह देखना संदेश की प्रेम है,
तो वह तुम्हीं से हैl
और कैसा होता है प्रेम ,
मैने कभी जाना नहीं,
और किसी को,
इतना निकट पाया नहीं।
अश्रु भी और मुस्कान भी,
आ जाते हैं तुम्हारी याद से।
पहले कभी ऐसा हुआ नहीं,
इतना किसी के विषय में सोचा नहीं।
कौन सा नाम दूँ इस
भाव को,
तुम्हें बताना है पर अभी बताया नहीं।
सोचता हूँ कह दूँगा तुमसे,
तुम्हीं बताना क्या है और क्या कहें इसे।
-अमिताभ शुक्ल
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