कितना विचित्र चित्र हुआ,
मानव धरती पर और,
विकास का ढांचा चाँद और
मंगल पर तैयार हुआ।
धरती पर सारे संसाधन हैं,
चाँद और मंगल पर यान,
भेजने के आयोजन हैं,
पृथ्वी पर अभाव में है जीवन।
रोजगार, भूख,कुपोषण,
शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या,
गरीबी,भ्रष्टाचार और न्याय की व्यवस्था,
क्या मंगल और चाँद से हल होंगी?
यह विज्ञान नहीं पूँजी की माया है,
व्यापार बढ़ाना और धन उपजाना है।
धरती पर जंगल, जमीन,खनिज
नष्ट किए,
अब चाँद और मंगल पर खजाना है।
मनुज को मनुज की फिक्र नहीं,
कंप्यूटर, रोबोट
और ऐआई का जमाना है.
इस तरह एक नया विकास आना है,
जिसमे मनुष्य को मशीन द्वारा चलाया जाना है।
-अमिताभ शुक्ल
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